Today in this article we are going to show you Sexy, Hot and Beautiful Desi Girls Photos with Shayari, so if you want to see the pics or photos of Desi Girl of Sexy, Hot and Beautiful Desi Girls With Shayari.
दिल की धड़कन और मेरी सदा है तू,
मेरी पहली और आखिरी वफ़ा है तू,
चाहा है तुझे चाहत से भी बढ़ कर,
मेरी चाहत और चाहत की इंतिहा है तू।
Indian College Girls
मेरी पहली और आखिरी वफ़ा है तू,
चाहा है तुझे चाहत से भी बढ़ कर,
मेरी चाहत और चाहत की इंतिहा है तू।
उदास लम्हों की न कोई याद रखना,
तूफान में भी वजूद अपना संभाल रखना,
किसी की ज़िंदगी की ख़ुशी हो तुम,
बस यही सोच तुम अपना ख्याल रखना।
तूफान में भी वजूद अपना संभाल रखना,
किसी की ज़िंदगी की ख़ुशी हो तुम,
बस यही सोच तुम अपना ख्याल रखना।
यकीन नहीं तुझे अगर तो आज़मा के देख ले,
एक बार तू जरा मुस्कुरा के देख ले,
जो ना सोचा होगा तूने वो मिलेगा तुझको भी,
एक बार अपने कदम बढ़ा के देख ले।
एक बार तू जरा मुस्कुरा के देख ले,
जो ना सोचा होगा तूने वो मिलेगा तुझको भी,
एक बार अपने कदम बढ़ा के देख ले।
ढाया है खुदा ने ज़ुल्म हम दोनों पर,
तुम्हें हुस्न देकर मुझे इश्क़ देकर।
शोख़ी से ठहरती नहीं क़ातिल की नज़र आज,
ये बर्क़-ए-बला देखिए गिरती है किधर आज।
तुम्हें हुस्न देकर मुझे इश्क़ देकर।
शोख़ी से ठहरती नहीं क़ातिल की नज़र आज,
ये बर्क़-ए-बला देखिए गिरती है किधर आज।
मैं तुम्हारी सादगी की क्या मिसाल दूँ
इस सारे जहां में बे-मिसाल हो तुम।
जबीं पर सादगी, नीची निगाहें, बात में नरमी,
मुखातिब कौन कर सकता है तुमको लफ्जे-कातिल से।
इस सारे जहां में बे-मिसाल हो तुम।
जबीं पर सादगी, नीची निगाहें, बात में नरमी,
मुखातिब कौन कर सकता है तुमको लफ्जे-कातिल से।
हुस्न वालों को संवरने की क्या जरूरत है,
वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं।
वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं।
हैं होंठ उसके किताबों में लिखी तहरीरों जैसे,
ऊँगली रखो तो आगे पढ़ने को जी करता है।
इलाही खैर हो उलझन पे उलझन बढ़ती जाती है,
न मेरा दम न उनके गेसुओं का खम निकलता है।
कयामत ही न हो जाये जो पर्दे से निकल आओ,
तुम्हारे मुँह छुपाने में तो ये आलम गुजरता है।
ऊँगली रखो तो आगे पढ़ने को जी करता है।
इलाही खैर हो उलझन पे उलझन बढ़ती जाती है,
न मेरा दम न उनके गेसुओं का खम निकलता है।
कयामत ही न हो जाये जो पर्दे से निकल आओ,
तुम्हारे मुँह छुपाने में तो ये आलम गुजरता है।
ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हें
तुम्हारी शख्सियत की खबर,
कभी हमारी आँखो से आकर पूछो
कितने लाजवाब हो तुम।
तुम्हारी शख्सियत की खबर,
कभी हमारी आँखो से आकर पूछो
कितने लाजवाब हो तुम।
उनके हुस्न का आलम न पूछिये,
बस तस्वीर हो गया हूँ, तस्वीर देखकर।
तुम हक़ीकत नहीं हो हसरत हो,
जो मिले ख़्वाब में वही दौलत हो,
किस लिए देखती हो आईना,
तुम तो खुदा से भी ज्यादा खूबसूरत हो।
बस तस्वीर हो गया हूँ, तस्वीर देखकर।
तुम हक़ीकत नहीं हो हसरत हो,
जो मिले ख़्वाब में वही दौलत हो,
किस लिए देखती हो आईना,
तुम तो खुदा से भी ज्यादा खूबसूरत हो।
आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन,
मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है.
कमसिनी का हुस्न था वो... ये जवानी की बहार,
पहले भी तिल था रुख पर मगर क़ातिल न था।
मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है.
कमसिनी का हुस्न था वो... ये जवानी की बहार,
पहले भी तिल था रुख पर मगर क़ातिल न था।
मुझे दुनिया की ईदों से भला क्या वास्ता यारो,
हमारा चाँद दिख जाये हमारी ईद हो जाये।
कैसे बयान करें सादगी अपने महबूब की,
पर्दा हमीं से था मगर नजर भी हमीं पे थी।
हमारा चाँद दिख जाये हमारी ईद हो जाये।
कैसे बयान करें सादगी अपने महबूब की,
पर्दा हमीं से था मगर नजर भी हमीं पे थी।
ऐसा ना हो तुझको भी दीवाना बना डाले,
तन्हाई में खुद अपनी तस्वीर न देखा कर।
बचपन में सोचता था चाँद को छू लूँ,
आपको देखा वो ख्वाहिश जाती रही।
तन्हाई में खुद अपनी तस्वीर न देखा कर।
बचपन में सोचता था चाँद को छू लूँ,
आपको देखा वो ख्वाहिश जाती रही।
नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर,
कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता।
नहीं भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा,
तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है।
कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता।
नहीं भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा,
तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है।
इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको,
कहते हैं कि लग जाती है अपनों की नज़र भी।
क्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते हो,
सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है।
कहते हैं कि लग जाती है अपनों की नज़र भी।
क्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते हो,
सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है।
वो शरमाई सूरत वो नीची निगाहें,
वो भूले से उनका इधर देख लेना।
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा,
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।
वो भूले से उनका इधर देख लेना।
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा,
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।
बला है क़हर है आफ़त है फ़ित्ना है क़यामत है
हसीनों की जवानी को जवानी कौन कहता है।
अंगड़ाई लेके अपना मुझ पर जो खुमार डाला,
काफ़िर की इस अदा ने बस मुझको मार डाला।
आईने में क्या चीज़ अभी देख रहे थे,
फिर कहते हो खुदा की कुदरत नहीं देखी।
अदा परियों की, सूरत हूर की, आंखें गिजालों की,
गरज माँगे कि हर इक चीज हैं इन हुस्न वालों की।
चाल मस्त नजर मस्त अदा में मस्ती,
जब वह आते हैं लूटे हुए मैखाने को।
हसीनों की जवानी को जवानी कौन कहता है।
अंगड़ाई लेके अपना मुझ पर जो खुमार डाला,
काफ़िर की इस अदा ने बस मुझको मार डाला।
आईने में क्या चीज़ अभी देख रहे थे,
फिर कहते हो खुदा की कुदरत नहीं देखी।
अदा परियों की, सूरत हूर की, आंखें गिजालों की,
गरज माँगे कि हर इक चीज हैं इन हुस्न वालों की।
चाल मस्त नजर मस्त अदा में मस्ती,
जब वह आते हैं लूटे हुए मैखाने को।